बापू के लिए अविभाज्य थे कानून और नैतिकता: प्रो. हरवंश
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ लीगल कॉलेज में गांधी जयंती पर वर्कशॉप
मुरादाबाद. तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ लॉ एंड लीगल कॉलेज में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कॉलेज के डीन प्रो. हरवंश दीक्षित ने कहा, महात्मा गांधी का कानून के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान बतौर उनके कानूनी पेशे, सामाजिक न्याय और नैतिक सिद्धांतों के माध्यम से देखा जा सकता है।
वे एक प्रशिक्षित वकील थे, जिन्होंने कानून को न केवल एक पेशे, बल्कि एक सामाजिक सेवा के माध्यम से भी आत्मसात किया। गांधी ने अपने कानूनी ज्ञान का उपयोग विशेषकर अहिंसा, सत्य और न्याय के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए किया। गांधी ने भारत में भी कानून का उपयोग एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में किया।
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को संगठित कर विदेशी कानूनों का अहिंसक तरीके से विरोध किया। बापू के नेतृत्व में चले आंदोलनों ने भारतीय कानून और राजनीतिक व्यवस्था में बड़े बदलाव लाए, जो अंततः स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त करने में मील का पत्थर साबित हुए।
गांधी ने हमेशा नैतिकता को अपने कानूनी पेशे में सबसे ऊपर रखा। उन्होंने कभी भी अनैतिक मामलों की पैरवी नहीं की और वकालत को सत्य की खोज के साधन के रूप में देखा। बापू के लिए कानून और नैतिकता अविभाज्य थे। गांधी का मानना था कि कानून का उद्देश्य समाज में नैतिकता और न्याय की स्थापना करना है, न कि केवल तकनीकी कानूनी मामलों का निपटान करना।
कॉलेज के प्राचार्य सुशील सिंह समेत प्रमुख वक्ताओं ने कहा, गांधी ने भारतीय समाज के लिए स्वराज स्व-शासन और लोकतंत्र की अवधारणा को कानूनी दृष्टिकोण से भी समर्थन दिया। उन्होंने स्वराज की एक ऐसी न्याय प्रणाली की कल्पना की, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष हो।
वक्ताओं ने कहा, गांधी ने अपने कानूनी संघर्षों में कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया। उनका तरीका सत्याग्रह और नागरिक अवज्ञा था, जिसमें वे अन्यायपूर्ण कानूनों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते थे। यह तरीका कानून के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण था, जिसने न्याय और नैतिकता को कानून के साथ जोड़ा।
वक्ताओं ने गांधी के जीवन और उनकी कानूनी धरोहर पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त स्टुडेंट्स और फैकल्टीज गांधी के विचारों पर गहन चर्चा के लिए पैनल चर्चाओं और इंटरएक्टिव सत्रों में भी शामिल हुए। सामाजिक सइस अवसर पर लॉ एंड लीगल कॉलेज के सभी फैकल्टी मेंबर, डा. डालचंद, डा. नम्रता जैन आदि उपस्थित रहीं।
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