The live ink desk. वायनाड में आई प्राकृतिक आपदा को पूरे 14 दिन हो गए हैं। 29 जुलाई, 2024 (सोमवार) को आधी रात के बाद वायनाड के चूरमाला, मुंडक्कई समेत ऊंचाई वाले अन्य स्थानों पर भीषण भूस्खलन हुआ था। यह आपदा उस समय आई थी, जब लोग लोग नींद में थे। ऐसे में उन्हे खुद के काल के गाल में समाने का पता भी नहीं चला।
बीते दो सप्ताह से यहां पर लगातार राहत-बचाव कार्य जारी है। एनडीआरएफ, भारतीय सेना, एयरपोर्स, नेपी, इंडियन कोस्ट गार्ड समेत राज्यस्तरीय एजेंसियों के साथ दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाओं ने अथक राहतबचाव कार्य चलाया। अब तक यहां से 229 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। इसमें 178 की ही पहचान हो पाई है।
इसके अलावा 51 शव और 200 क्षत-विक्षत अवस्था में मानव अंग भी मलबे से बरामद हुए हैं, जो भीषण सैलाब में कटकर इधर-उधर फैल गए थे। अभी भी स्थानीय 130 लोग लापता बताए ज रहे हैं। लापता लोगों की खोज के लिए डीएनए जांच करवाई जा रही है।
यह परीक्षण कुन्नूर फोरेंसिक लैब और राजीव गांधी सेंटर फार बायोटेक्नोली में किया जा रहा है। लापता के रूप में दर्ज लोगों के परिवारीजनों के रक्त संकलन का काम पूरा हो चुका है। अब इसके डीएनए का मिलान आपदा में मिले अज्ञात शवों के डीएनए से किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट भी शीघ्र जारी की जाएग।
वायनाड के प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्य आज यानी 12 अगस्त को भी जारी है। स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, सुरक्षा, वन विभाग के साथ तमाम स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर प्रभावित स्थलों के साथ-साथ आसपास के जंगलों में भी रेस्क्यू अभियान चला रहे हैं।
बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था। उन्होंने मुंडक्कई और चूरलमाला में प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। अस्पताल और राहत शिविर में शरण लिए लोगों के पास गए। पीएम ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार प्रभावित लोगों की हर संभव मदद के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वायनाड का दौरा किया था।