UP में सपा-कांग्रेस गठजोड़ ने बिगाड़ा समीकरण, जी उठी कांग्रेस और चल पड़ी साइकिल
2019 के चुनाव में सिर्फ छह सीट पाने वाली दोनों पार्टियों ने 43 सीटों पर जमाया कब्जा
लखनऊ/प्रयागराज (आलोक गुप्ता). 18वीं लोकसभा के चुनाव परिणामों ने सारे एग्जिट पोल को फेल कर दिया। चार जून, 2024 की सुबह आठ जे जैसे ही मतगणना शुरू हुई, बदलाव के संकेत स्पष्ट होने लगे और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया समीकरण उभरकर सामने आ गया।
इंडी गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस (Congress) और समाजवादी पार्टी (SP) की जोड़ी ने यूपी में एनडीए (NDA) और भाजपा (BJP) का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया और छह सीटों (2019 के आम चुनाव में) से सीधे 43 सीटों पर कब्जा जमा लिया। सपा को भी अभूतपूर्व सफलता मिली तो कांग्रेस को अमेठी और 40 साल बाद इलाहाबाद लोकसभा सीट फिर से मिल गई। रायबरेली से राहुल गांधी स्वयं चुनाव जीते।
80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में उभरकर आए नये समीकरण में समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बन गई। अखिलेश यादव को इस चुनाव में कुल 37 सीटों पर जीत मिली। जबकि पिछले चुनाव में सर्वाधिक सीट जीते वाली भाजपा महज 33 सीटों पर सिमटकर रह गई।
इस चुनाव में अस्तित्व विहीन हो चुकी कांग्रेस को समाजवादी पार्टी का साथ मिला तो वह भी यूपी में छह सांसदों वाली पार्टी बन गई। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में छह सीटों पर कांग्रेस को भी विजय मिली है। इसके अलावा दो सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), एक सीट पर आजाद समाज पार्टी और एक सीट पर अपना दल (सोनेलाल) को जीत हासिल हुई है।
2019 के चुनाव पर नजर डालें तो यही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस कुल छह सीटों पर सिमटी हुई थी। पिछले आम चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को कुल 62 सीटों पर जीत मिली थी और भाजपा इसी उम्मीद थी कि उसे कुछ सीटों पर नुकसान हो सकता है, लेकिन इतना बड़ा डैमेज हो जाएगा, इसकी कल्पना न तो भाजपा ने की थी और न ही इतने बड़े फायदे की उम्मीद में विपक्षी दल था।
2019 में भाजपा 62 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने दो पार्टियों पर जीत हासिल की थी। इस तरह यूपी की 64 लोकसभा सीटें एनडीए के खाते में थीं। जबकि दस सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने कब्जा जमाया था, जबकि 2024 के चुनाव में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी और एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।