The live ink desk. नीट परीक्षा (NEET Exam) रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी की है। सुप्रीम कोर्ट की वैकेशन बेंच ने कहा, अगर 0.01 फीसद भी खामी पाई गई है तो हम सख्ती से निपटेंगे। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, छात्रों की शिकायतों को एनटीए (NTA) नज़रअंदाज न करें। परीक्षा में कोई गलती हुई है तो उसे सुधारा जाए।स मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एसवी भट्टी ने कहा कि अगर कोई अभ्यर्थी परीक्षा में गड़बड़ी के बाद डॉक्टर बनता है तो वह समाज के लिए खतरनाक होगा। अदालत, प्रतियोगिता के इस दौर में अभ्यर्थियों द्वारा ईमानदारी से की जा रही मेहनत पर संजीदा है। एनटीए (NTA) को जिम्मेदारी से काम करना होगा ताकि बच्चों का विश्वास पाया जा सके।
बताते चलें कि नीट परीक्षा (NEET Exam) की विसंगतियों को लेकर 20 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग उठाई थी कि इस परीक्षा की जांच सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। याचिका द्वारा परीक्षा में 620 अंक से ज्यादा पाने वाले छात्रों की अकादमिक और फोरेंसिक जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित कमेटी से कराने की मांग की गई है।
याचिका में परीक्षा परिणामों की जांच के आधार पर सात बिंदुओं का हवाला दिया गया है। पहला इस परीक्षा में 67 बच्चों ने शत-प्रतिशत अंक हासिल किए, जिनमें से छह एक ही परीक्षा केंद्र के हैं जबकि टॉप 70 में से आठ छात्र हरियाणा के झज्जर के एक परीक्षा केंद्र से हैं। सबसे बड़ी बात यह कि टॉप 100 बच्चों के रोल नंबर एक ही क्रम में हैं।
620 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या पहले के मुकाबले 400 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जो पिछले सत्र में सिर्फ दशमलव चार से दशमलव छह प्रतिशत तक ही थी। पिछली बार टॉप 100 छात्रों की संख्या का प्रतिशत 2.5 था, जबकि 520 से 620 और उससे नीचे के वर्ग में आने वाले छात्रों के प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं है। यह दर्शाता है कि सुनियोजित तरीके से खास बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए ऐसा किया गया।
तीसरा 1563 बच्चों को परीक्षा परिणामों में एनटीए (NTA) द्वारा बिना किसी नियम के ग्रेस मार्क्स दिया गया। चौथा कुल 720 अंक में से छात्रों द्वारा 718-719 अंक पाना गणितीय रूप से संभव नहीं है, क्योंकि परीक्षा में सही जवाब के लिए चार और गलत जवाब के लिए एक नंबर काटने का प्रावधान है। ऐसे मे 180 प्रश्नों का उत्तर देने पर किसी भी स्थिति में 718 या 719 अंक नहीं मिल सकता।
पांचवां बिंदु यह है कि एनटीए (NTA) ने माना कि परीक्षा के दिन चार बजकर 25 मिनट पर ही पेपर बांटे गए, जबकि परीक्षा पांच बजकर 20 मिनट पर समाप्त हुई। छठवां यह कि परीक्षा देने में मिले कम समय का हवाला दिया गया है। ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी छात्रों को नहीं दी गई।
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