The live ink desk. घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने, ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने और कोयला क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए कोयला मंत्रालय परिवर्तनकारी पहल का नेतृत्व कर रहा है, इसके प्रभाव से कोयला आयात में कमी आई और निर्यात बढ़ा है।
कोयला क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। कोयले के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। रोजगार सृजित होंगे और सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न होगा। आयात पर निर्भरता कम होने से विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
भारत के कोयला उत्पादन में वर्ष 2023-24 में 11.65 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो सरकार की आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य 1,080 मिलियन टन निर्धारित किया गया है, जो एक प्रमुख कोयला उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाएगा।
कोयला आयात को कम करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए, एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है। यह समिति आयात प्रतिस्थापन के अवसरों की पहचान करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच चर्चाओं को सुगम बनाएगी और प्रयासों का समन्वय करेगी।
कुछ उच्च-श्रेणी के कोयले के आयात की आवश्यकता के मद्देनजर गैर-जरूरी आयात को कम करने और घरेलू रूप से उत्पादित कोयले के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
आयात को कम करने के अलावा, सरकार जीवाश्म ईंधन की बढ़ती वैश्विक मांग को ध्यान में रखते हुए कोयला निर्यात को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। इस पहल का उद्देश्य भारत को अंतरराष्ट्रीय कोयला बाजार में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करना, राजस्व उत्पन्न करना और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना है।
कोयले के आयात में कमी और निर्यात को बढ़ावा देना भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण कदम हैं। घरेलू स्तर पर उत्पादित कोयले पर अधिक निर्भर रहने से देश विदेशी स्रोतों पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और वैश्विक मूल्य उतार-चढ़ाव से खुद को बचा सकता है।
आईआईएम अहमदाबाद की एक स्टडी के मुताबिक भारत ने अपने पड़ोसी देशों नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश समेत अन्य को निर्यात करने की संभावनाएं तलाश रहा है।
बांग्लादेश इंडिया फ्रेंडशिप पावर कंपनी लिमिटेड (बीआईएफपीसीएल) द्वारा निर्मित मैत्री सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एमएसटीपीपी) (2X660 मेगावाट) एनटीपीसी और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) के बीच 50:50 संयुक्त उद्यम है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मूल्य निर्धारण नीति के अनुसार प्रति वर्ष पांच मिलियन टन कोयले की आवश्यकता होती है।